उत्तराखंड

डेंगू से रहें सावधान: तीन महीने है डेंगू वायरस का खतरा

सावधानी में ही बचाव:

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 15 जुलाई से 15 नवम्बर तक होता है डेंगू का मच्छर पैदा

देहरादून। उत्तराखंड के हर व्यक्ति, महिला, पुरुष, नौजवान, बच्चे और बुर्जुग को सावधान रहने की जरूरत है। अब कुछ महीने डेंगू वॉयरस का खतरा है। इससे सर्तक रहें। इसलिए ऐसी कोई गलती न करें कि आपके आसपास, घर और प्रतिष्ठानों में डेंगू का लार्वा पैदा हो जाए। हम आपको डेंगू से अलर्ट रहने के लिए कुछ विशेष जानकारियां साझा कर रहे हैं ताकि आने वाले दिनों में आप अपने स्वास्थ्य का पूरा खयाल रखें।

गलती से भी घर और प्रतिष्ठानों में जमा न होने दें पानी

डेंगू एक मच्छर का नाम है जो अब एक डेंगू वायरस के रूप में भी जाना जाता है। डेंगू फैलाने वाला एडीज इजिप्टी एक छोटा गहरे रंग का मच्छर होता है। जिसमें बंधी हुई टांगे होती है। मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी प्रजाति के मादा मच्छरों के काटने से डेंगू फैलता है। यह मच्छर ज्यादा ऊपर नहीं उड़ सकता है। यह फ्लाविविरिडे परिवार तथा फ्लाविविरस जीन का हिस्सा है। यह ठहरे या रुके हुए साफ पानी में पनपता है। इसके लिए साफ सफाई रखें। बताया जाता है कि 1970 से पहले यह दुनिया के महज 9 देशों में ही फैलता था किंतु वर्तमान में यह 100 से अधिक देशों में फैला रहा है। विशेषज्ञ डॉक्टर बताते हैं कि डेंगू के लक्षण 3 से 14 दिनों तक बने रहते हैं। प्रमुख रूप से तेज बुखार, सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, जोडों और मांसपेशियों में तेज दर्द, थकान, मितली, उल्टी, त्वचा पर लाल चकत्ते, भूख न लगना आदि इसके लक्षण हैं।

3 से 14 दिन तक बने रहते हैं डेंगू के लक्षण

डेंगू की जांच के लिए एनएस1 टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट को ही डेंगू एंटीजन टेस्ट कहा जाता है। डेंगू के लक्षण सामने आने पर 5 दिनों के भीतर इस टेस्ट को करवाना सही माना जाता है। यह जांच डेंगू के प्रारंभिक दिनों में अच्छे परिणाम देने में कारगर होता है जबकि जैसे ही डेंगू के लक्षण बढ़ते हैं जांच की प्रामाणिकता कम होती है। एलाइजा- डेंगू के लिए एलाइजा टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट से डेंगू की पुष्टि प्रमाणिक रूप से होती है। डेंगू जांच के लिए प्रदेशभर में सभी पीएचसी, सीएचसी, जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और अन्य अस्पतालों में सभी सुविधाएं मौजूद हैं।

डेंगू का संदेश होने पर शीघ्र डॉक्टर के पास कराएं स्वास्थ्य परीक्षण

डेंगू के मरीजों को अपने लक्षणों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। साथ ही डॉक्टर के सम्पर्क में रहना चाहिए। खान पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। लापरवाही से बीमारी गंभीर हो सकती है। डेंगू में ऑयली या फ्राइड फूड बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। मसालेदार खाने से दूर रहें। तरल पदार्थ लें। चाय कॉफी कम पिएं। हाइड्रेटिंग ड्रिंक्स पिएं। कैफीनयुक्त ड्रिंक्स से परहेज करें। नॉनवेज किसी भी दशा में न खाएं। पपीते के पत्ते का रस पिएं यह प्लेटलेट काउंट भी तेजी से बढाता है। अनार का इस्तेमाल करें यह शरीर को ताकत और मजबूती देगा।
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डेंगू के प्रति सर्तक रहने की जरूरत है। जागरूक रहते हुए हम इससे पूरी तरह सुरक्षित रह सकते हैं। घरों और प्रतिष्ठानों के आसपास पानी जमा न होनें दे। पानी को जमा होने में सप्ताह न होने दें इससे पहले ही इसे हटा दें। स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेशभर के सभी अस्पतालों में डेंगू की जांच और इलाज की सुविधाएं है। समाज को जागरूक रहने की जरूरत है।

डॉ शैलजा भट्ट, स्वास्थ्य महानिदेशक

 

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