उत्तराखंड

रस्म अदायकी जैसी हो रही अब, बीडीसी बैठकें

बीडीसी

देहरादून। सोशल मीडिया की धमक और संचार तंत्र के मजबूत आधुनिक समय में अब बंद कमरों में होने वाली बीडीसी बैठकें महज रस्म अदायकी जैसी ही होने लगी है। यहां भले ही सदस्य कुछ समस्याएं उठा लेते हैं किंतु इनका समाधान किस तरह से किया जाता है यह अफसर भी अच्छी तरह जानते हैं और जनप्रतिनिधि भी भली-भांति समझते हैं।

सदस्यों की उठाई समस्याओं पर नहीं होती है उचित कार्रवाई

सरकार के निर्देशों पर उत्तराखंड राज्य में हर जनपद में बीडीसी बैठकें आयोजित करने की परम्परा सदैव चलती आ रही है। अब इसका कितना फायदा जनता को मिल रहा है इस बारे में तो अफसर और जनप्रतिनिधि ही अच्छी तरह समझते हैं किंतु इतना जरूर है कि बैठकों पर सरकारी धन तो खर्च होता ही है। स्वयं देहरादून, हरिद्वार जैसे बडें जनपद हो या फिर छोटे-छोटे जनपद। सभी जगह बीडीसी बैठकों की तस्वीर एक जैसी ही दिखती है। अफसरों के पास पुरानी बैठकों की कार्रवाई को लेकर भी संतोषजनक जबाव नहीं होते तो नई समस्या को लेकर दिए गए दिशा निर्देश भी हवा हवाई ही साबित होते आ रहे हैं। भले ही ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य अपनी समस्याओं को लेकर बेसब्री से बैठक में रखने को लेकर उत्साहित रहते हैं और इसे एक बड़ा माध्यम भी समझते हो किंतु, क्या इन समस्याओं पर वास्तविक कार्रवाई होती है या फिर खानापूर्ति कर दी जाती है। ऐसे में अब, बीडीसी की बैठकें एक तरह से सरकारी रस्म अदायकी जैसे ही साबित हो रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button