उत्तराखंड

शीतकाल के लिए बंद हुए भगवान बदरीविशाल के कपाट

धार्मिक परम्परा

भगवान उद्धव और कुवेर जी की उत्सव मूर्ति शीतकालीन निवास को हुई रवाना

बदरीनाथ। भू-बैकुंठ धाम भगवान बदरीविशाल के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। 3 बजकर 35 मिनट पर विधि-विधान एवं मंत्रोच्चारण के भगवान की पूजा अर्चना के बाद कपाट बंद कर दिए गए। परम्परानुसार मंदिर से भगवान उद्धव जी और कुवेर जी की उत्सव मूर्ति आदि शंकराचार्य की गद्दी के साथ शीतकालीन निवास स्थल को रवाना हुई। कपाट बंद होने के मौके पर बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों की भीड़ उमड़ी। जर्बदस्त ठंड के बाद भी आस्था का सैलाब देखने लायक था।

जर्बदस्त ठंड के बाद भी दिखा आस्था का सैलाब

विश्व प्रसद्धि चार धाम में प्रसद्धि बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए हैं। आज भगवान बद्रीनाथ की पूजा अर्चना के बाद और श्रद्धालुओं के दर्शन के बाद कपाट बंद किये गए। इसके साथ ही उत्तराखंड के चारों धाम के कपाट बंद हो गए हैं। इससे पहले भैया दूज के दिन गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट बंद किए गए थे। इस बार जहां चारों धाम में 50 लाख के करीब तीर्थयात्रियों के दर्शन करने का दावा किया जा रहा है। वहीं अकेले बद्रीनाथ धाम में 17 लाख 52 हजार से भी अधिक तीर्थयात्री दर्शन को पहुंचे हैं। कपाट बंद करने से पहले मंदिर को फूलों से सजाया गया था।

इस बार साढ़े 17 लाख तीर्थयात्रियों ने किए बदरीविशाल के दर्शन

कपाट बंद होने से पहले भगवान बद्रीविशाल को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया।कपाट बंद होने के बाद उद्धव और कुबेर जी की डोलीबद्रीनाथ से बामणी गांव को रवाना हुई। जबकि शंकराचार्य जी की गद्दी आज रावल निवास में रात्रि वश्रिाम के बाद कल पावन गद्दी और उद्धव कुबेर जी की मूर्ति प्रातकाल पांडुकेश्वर के लिए रवाना होंगे। जहां उद्धव जी और कुवेर जी को शीतकालीन मंदिर में विराजमान किया जाएगा। जबकि 21 नवंबर को शंकराचार्य जी की गद्दी जोशीमठ के नरसिंह मंदिर पहुंचेगी। जहां विधि विधान से गद्दी को शंकराचार्य के मठ में विराजमान किया जाएगा।

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