हिमालयी क्षेत्र में हुई घटना में किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम में चौराबाड़ी ग्लेशियर के कैचमेंट में एवलांच आया है। हालांकि इससे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ है किंतु प्रशासन ने अलर्ट कर दिया है कि इस पर निरंतर नजर बनाई रखी जाए। इधर, जिलाधिकारी ने आपदा प्रबंधन को भी अलर्ट किया है साथ ही शासन को इसकी जानकारी दी है ताकि कोई भूगर्भीय टीम से घटना से जुड़े तथ्यों का सर्वे कराया जा सके।
शासन को भी दी गई सूचना, प्राकृतिक गतिविधि का होगा भूगर्भीय सर्वे
जानकारी के अनुसार गुरुवार सांय 4.45 मिनट पर केदारनाथ धाम में चौराबाड़ी ग्लेशियर से एवलांच जमीन पर गिरा। बर्फ के बड़े टुकड़े के गिरने के दौरान धुए का गुब्बार जैसा दिखा। इस घटना में किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि ग्लेशियर ब्रह्मगुफा के करीब गिरा जो केदारनाथ धाम से करीब 7 किमी दूर है। जबकि चौराबाड़ी ताल केदारनाथ से 5 किमी दूर है। एवलांच गिरने के बाद केदारनाथ में बीकेटीसी के सीईओ योगेंद्र सिंह ने सभी को सर्तक किया। सभी से नदी किनाने की तरफ न जाने का आग्रह किया गया। वहीं दूसरी ओर प्रशासन ने आपदा प्रबंधन के साथ ही एसडीआरएफ को अलर्ट किया है।
प्रशासन ने दिए आपदा प्रबंधन, पुलिस को निगरानी के निर्देश
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि हिमालय में एवलांच गिरने की एक सामान्य घटना है किंतु सभी को सर्तक किया गया है। आपदा प्रबंधन और एसडीआरएफ को अलर्ट पर रखा गया है और निरंतर निगरानी रखने को कहा गया है। जिलाधिकारी ने बताया कि एवलांच की घटना से शासन को भी अवगत कराया गया है साथ ही एक भूगर्भीय टीम से सर्वे कराने का आग्रह किया गया है। केदारनाथ में मौजूद एसडीएम एवं बीकेटीसी के सीईओ योगेंद्र सिंह ने बताया कि केदारनाथ के ऊपरी क्षेत्रों में लगातार बर्फबारी हो रही है। गुरुवार को चौराबाड़ी ग्लेशियर की तरफ एक माइल्ड एवलांच आया जिससे कोई नुकसान नहीं है। किसी तरह के जोखिम की स्थति नहीं है। केदारनाथ में कार्य कर रही सभी निर्माणदायी संस्था और पुलिस को भी निगरानी के निर्देश दिए गए हैं। केदारनाथ के सभी संवेदनशील स्थानों पर निरंतर निगरानी की जा रही है। इधर, स्थानीय लोग कहते हैं कि केदारनाथ में मेरु-सुमेरू पर्वत के चौराबाड़ी और ब्रह्मगुफा की तरफ एवलांच गिरते रहते हैं। बताते चलें कि वर्ष 2013 में केदारनाथ में चौराबाड़ी ताल के टूटने से बड़ी आपदा आई थी जिसमें हजारों लोग मौत के मुंह में समा गए। हालांकि वर्ष 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ धाम में यहां की हर प्राकृतिक घटना पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
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