रुद्रप्रयाग में गुलाबराय धारे का सूखना पारम्परिक और भावनात्मक चोट
ऐसा विकास भी क्या विकास, जिससे जीवन यापन का अस्तित्व ही मिटने लग जाए। रुद्रप्रयाग मुख्यालय में ऐसा ही हुआ है। जब रेलवे निर्माण के चलते सालों पुराना पारम्परिक जल स्रोत खत्म हो गया है। अब, क्या इस धारे पर दोबारा लोगों को पानी देखने को मिलेगा, यह तो भविष्य ही बताएगा किंतु लोग इसके पुर्नजीवन के लिए एकजुट होकर मांग कर रहे हैं।
ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर गुलाबराय नामक स्थान में करीब सौ सालों से पारम्परिक जल धारा बहता आ रहा था। वर्षों पुराने जल स्रोत से ग्रीष्मकाल ही नहीं बल्कि शीतकाल में भी बड़ी संख्या में लोगों को पानी की आपूर्ति होती रही है। गर्मियों में हाईवे पर चलने वाले वाहन चालक, तीर्थयात्री हो या फिर स्थानीय लोग बड़ी संख्या में यहां पानी भरते रहे हैं। यात्रा सीजन में तीर्थयात्री यहां स्नान करने को लाइन लगाकर रहते थे किंतु बीते कुछ समय से रेलवे के निर्माण के चलते इस पारम्परिक जल स्रोत (धारा) का अस्तित्व मिट गया है। धारे पर कभी गदेरे की तरह बहता पानी अब पूरी तरह सूख गया है। लोगों ने इसके पुर्नजीवन की मांग की है।
स्थानीय लोग बोले, हर हाल में दोबारा पुर्नजीवित किया जाए रुद्रप्रयाग का महत्वपूर्ण जल स्रोत
तब-
गर्मियों में जब पानी का संकट बढ़ेगा तो जेहन में बार-बार आएगी गुलाबराय धारे की याद
गर्मियों में जल संकट के बीच कोई दिन ऐसा नहीं होगा जब इस वर्षो पुराने धारे की याद हर किसी को नहीं आएगी। जहां इसके मीठे और सुंगधित पानी का स्वाद भुलाना लोगों को आसान नहीं होगा वहीं निरंतर प्रवाह और सनसनाती आवाज हर किसी को धारे की याद करने को मजबूर कर देगी। स्थानीय निवासी सरस्वती देवी, संजय देवली, लज्जावती देवी, सरस्वती देवी आदि ने कहा कि वह पीढ़ियों से गुलाबराय स्थित जल स्त्रोत से पानी की आपूर्ति होते देख रहे हैं। किंतु रेलवे ने इस पारम्परिक जल धारे को खत्म कर दिया है। सिंचाई के लिए भी यह मील का पत्थर साबित होता था। सामाजिक कार्यकर्ता गौरव नैथानी, अशोक चौधरी, शैलेंद्र भारती, तरुण पंवार, पूर्व नपा अध्यक्ष राकेश नौटियाल, हरि सिंह पंवार, दीपांशु भट्ट, यशवंत बिष्ट, प्रदीप चौधरी, महेश डियून्डी, माधो सिंह नेगी, प्रदीप बगवाड़ी, लक्ष्मण बिष्ट, कांता नौटियाल, गोपी पोखरियाल, व्यापार संघ अध्यक्ष अंकुर खन्ना, चन्द्रमोहन सेमवाल, जितेंद्र खन्ना, महावीर भट्ट, अमिताभ काला आदि ने इस धारे को पुर्नजीवित करने की मांग की है। हालांकि रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि यदि निर्माण के चलते कुछ ऐसा हुआ है तो इसका अध्ययन किया जाएगा। इसके लिए भू-वैज्ञानिक को भी साथ में रखा जाएगा।
अब-
इसी धारे की बदौलत गुलाबराय बनी मंडी
कभी जमाने में गुलाबराय में मवेशियों के व्यापार की मंडी हुआ करती थी। इस स्थान की दुग्ध उत्पादन के रूप में भी पहचान रही है। दूर दूर से लोग मंडी में दूध लेने आते रहे हैं। यहां वर्षो तक मंडी स्थापित रही इसमें पारम्परिक जल स्रोत (धारे) का ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है। पर्याप्त पानी की वजह से यहां पहाड़ के अनेक जनपदों से लोग मवेशी लेकर व्यापार करते रहे हैं। हालांकि आज मंडी जैसा कुछ भी नहीं दिखाई देता है।
सोशल मीडिया पर हर कोई दिख रहा चिंतित
गुलाबराय धारे से पानी विलुप्त होने की फोटो सोशल मीडिया पर भी सूब साझा हो रही है। इस पर हर कोई चिंता व्यक्त कर रहा है। जिन लोगों ने धारे की वास्तविक स्थिति नहीं देखी वह सोशल मीडिया पर जानकारी मिलते ही चिंतित हो रहा है। प्रतिक्रियाएं कर रहे हैं किंतु यह जरूर है कि यदि इसका पुर्नजीवन नहीं हुआ तो रुद्रप्रयाग नगर के लिए यह एक बड़ी क्षति होगी।