उत्तराखंड

पहाड़ में क्या है नए अनाज के भोग लगाने की परम्परा: जानिए

पौराणिक परम्परा

भगवान को चढ़ाते हैं ग्रामीण हर साल नए अनाज का पहला प्रसाद

रुद्रप्रयाग। पहाड़ में अक्सर आपने सुना होगा कि आज नए अनाज का भोग भगवान को चढ़ाया जा रहा है। ऐसा आयोजन अधिकांश पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षो से किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्र की खुशहाली, अच्छी खेती और रिद्वि सिद्धि के लिए किया जाता है। भले ही आज के समय में समाज में काफी बदलाव आए गए हो, किंतु पहाड़ों में इस पौराणिक परम्परा का सदैव निर्वहन किया जा रहा है।


खुशहाली के साथ ही अच्छी खेती के लिए भी मांगी जाती है मन्नतें

मुख्यालय स्थित पुनाड़ क्षेत्र में विराजमान भगवान पुण्डेश्वर महादेव मंदिर को कौन नहीं जानता। आधुनिक रुद्रप्रयाग का निर्माण पुनाड़ से ही हुआ है। पुनाड़ को शिव क्षेत्र कहा गया है इसलिए यहां भगवान पुण्डेश्वर महादेव मंदिर पुनाड़ और भगवान रुद्रनाथ मंदिर संगम क्षेत्र की अपनी अलग विशेषताएं और महत्व है। शिव क्षेत्र होने के कारण पुनाड़ स्थित महादेव मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं हैं जो उत्तराखंड में अपने आप में विशेष है। ऐसी मान्यता है कि जब भी पुनाड़ क्षेत्र की भूमि में नया अनाज पैदा होता है तो इसका पहला भोग भगवान शिव यानि पुण्डेश्वर महादेव को लगाया जाता है ताकि हर व्यक्ति का अन्न धन का भंडार भरा रहे, क्षेत्र में खुशहाली एवं रिद्वि सिद्धि हो। साथ ही आने वाली खेती से अच्छी फसल तैयार हो। इसी उद्देश्य को लेकर आज भी पुण्डेश्वर महादेव मंदिर में पुनाड़ क्षेत्र में पुण्डेश्वर महादेव मंदिर समिति से जुड़े 258 परिवारों द्वारा इस आयोजन में पूरी निष्ठा और समपर्ण भाव से भागीदारी की जाती है।


क्षेत्र के 258 परिवारों ने की भोले शंकर से सुख शांति की प्रार्थना


पंडित कमलेश्वर प्रसाद सेमवाल ने बताया कि यह आयोजन सदियों से होता चला आ रहा है और आज भी लोग भगवान पुण्डेश्वर मंदिर में उसी भावना के साथ इस शामिल होते हैं। पांडव लीला एवं शिव समिति पुनाड़ के अध्यक्ष प्रकाश चन्द्र गोस्वामी ने बताया कि यह परम्परा वर्षो से चली आ रही है। भगवान पुण्डेश्वर मंदिर की प्रेरणा से एक वर्ष पुनाड़ चौक में पांडव लीला का आयोजन किया जाता है जबकि अगले वर्ष पुण्डेश्वर मंदिर में श्रीमद देवी भागवत कथा आयोजित होती है। इसी बीच नए अनाज के भोग लगाने की परम्परा भी है। स्थानीय निवासी अजय सेमवाल, रामचन्द्र नौटियाल, पूर्व पालिकाध्यक्ष राकेश नौटियाल, विक्रम कप्रवान, हरीश चन्द्र सेमवाल, चक्रधर सेमवाल, दुर्गा नौटियाल, हरीश कप्रवान, बलंवत सिंह, हरीश गिरी, गिरीश नौटियाल, शैलेंद्र गोस्वामी, हर्षपति नौटियाल आदि ने बताया कि इस आयोजन को लेकर लोगों में काफी उत्साह का माहौल रहता है।
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हवन यज्ञ कर लिया आशीर्वाद

हर साल ग्रीष्मकाल में पुण्डेश्वर महादेव मंदिर में नए अनाज को चढ़ाने की परम्परा है। आज सोमवार को पुण्डेश्वर महादेव मंदिर में विधवित पूजा अर्चना की गई। जबकि इसके बाद नए अनाज का रोट, प्रसाद भगवान को अर्पित किया गया। इस मौके पर हवन यज्ञ आयोजित किया गया। हवन कुंड में क्षेत्र की खुशहाली, खुश, शांति और आगामी वर्ष अच्छी खेती के लिए आहुतियां डाली गई।
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यह भी है मान्यता

भगवान शिव को नीलकंठ नाम से भी जाना जाता है। कहते है कि जब समुद्रमंथन हुआ था तब भगवान आषुतोष ने देवताओं की रक्षा के लिए मंथन में निकला विष अपने कंठ में समा लिया था। इसी धारणा को नए अनाज से भी जोड़ कर देखा जाता है। अपने भक्तों की रक्षा के लिए भगवान शंकर अनाज में विष रुपी तत्व की भी ग्रहण कर लते हैं ताकि जनकल्याण हो।
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