16 और 17 अगस्त को हरे-भरे बुग्यालों में होगा उत्तराखंड का अदभुत पर्व
उत्तरकाशी। उत्तरकाशी के भटवाड़ी रैथल गांव में इस बार बटर फेस्टिवल की तैयारी होने लगी है। सुंदर और हरे-भरे बुग्यालों में दूध, मट्ठा और मक्खन की अनूठी होली खेली जाएगी। अगले महीने 16 और 17 अगस्त को दयारा बुग्याल में उत्तराखंड का यह अदभुत पर्व आयोजित होगा।
कोरोना के दो साल के दौरान धूमधाम से नहीं हो सका पारंपरिक बटर फेस्टिवल
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में बटर फेस्टिवल जिसे स्थानीय बोली में अढूंडी उत्सव कहा जाता है के आयोजन को लेकर तैयारियां होने लगी है। बीते दो साल कोरोना संकट के चलते यह आयोजन नहीं हो सका किंतु इस बार बटर फेस्टिवल को लेकर लोगों में उत्साह है। भटवाड़ी के रैथल गांव में इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है। इस फेस्टविल में दूध, मट्ठा और मक्खन की अनूठी होली खेली जाएगी। समुद्रतल से 11 हजार फीट की उंचाई पर 28 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले दयारा बुग्याल में रैथल के ग्रामीणों द्वारा सदियों से भाद्रप्रद महीने की संक्रांति को दूध, मक्खन और मट्ठा की होली का आयोजन करते हैं। प्रकृति का आभार जताने के लिए आयोजित किए जाने वाले इस दुनिया के अनोखे उत्सव को रैथल गांव की दयारा पर्यटन उत्सव समिति व ग्राम पंचायत बीते कई वर्षों से बड़े पैमाने पर दयारा बुग्याल में आयोजित कर रही है, जिससे देश विदेश के पर्यटक इस अनूठे उत्सव का हिस्सा बन सके।
दयारा बुग्याल में रैथल के ग्रामीण हर साल भाद्रप्रद महीने की संक्रांति को करते हैं दूध, मक्खन की होली का आयोजन
बैठक में समिति ने लिया निर्णय रविवार को रैथल में आयोजित दयारा पर्यटन उत्सव समिति की बैठक में इस वर्ष 17 अगस्त को पारंपरिक रूप से दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल के आयोजन का भव्य रूप से मनाने का फैसला लिया। इस साल होने वाले आयोजन में दयारा बुग्याल में ग्रामीण देश विदेश से आने वाले मेहमानों के साथ 17 अगस्त को मक्खन मट्ठा की होली खेलेंगे। इस मौके पर दयारा पर्यटन उत्सव समिति रैथल के अध्यक्ष मनोज राणा, सरपंच गजेंद्र राणा, उपप्रधान रैथल विजय सिंह राणा, वार्ड सदस्य बुद्धि लाल आर्य, समिति के सदस्य मोहन कुशवाल, सुरेश रतूड़ी, संदीप राणा, यशवीर राणा, राजवीर रावत, विजय सिंह राणा, पंकज कुशवाल, प्रवीन रावत समेत अन्य मौजूद थे।
जानिए क्या है बटर फेस्टिवल-
गर्मियों की शुरूआत के साथ रैथल के ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ दयारा बुग्याल सहित गोई चिलापड़ा में बनी अपनी छानियों में ग्रीष्मकालीन प्रवास के लिए पहुंचते हैं। ऊंचे बुग्यालों में उगने वाली औषधीय गुणों से युक्त घास और यहां का वातावरण दुधारू पशुओं के दुग्ध उत्पादन पर भी पड़ता है। इन ऊंचाई वाले इलाकों में सितंबर महीने से होने वाली सर्दियों की शुरूआत से पहले ग्रामीण वापस लौटते है, और लौटने से पहले अपनी व अपने मवेशियों की रक्षा के लिए प्रकृति का आभार व्यक्त करने के लिए इस अनूठी परम्परा का निर्वहन करते हैं। स्थानीय स्तर पर अढूंडी पर्व के नाम से जाना जाने वाले इस बटर फेस्टिवल में समुद्रतल से 11 हजार फीट की उंचाई पर ताजे मक्खन व छाछ से होली खेली जाती है। उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लॉक में दयारा बुग्याल स्थित है। यहां पहुंचने के लिए रैथल और बारसू गांव से दयारा तक करीब 8 किमी का पैदल मार्ग है।