उत्तराखंड

दुनियां को हंसाने वाले राजू श्रीवास्तव की यादें सदैव रहेंगी साथ

दुखद

दिल्ली एम्स में ली राजू श्रीवास्तव ने अंतिम सांस

देहरादून। दुनियां को हंसाने और खुश रखने वाले राजू श्रीवास्तव दुनिया से हमेशा के लिए चले गए हैं। उनकी यादें न केवल भारत बल्कि दुनिया के कई देशों में सदैव जीवित रहेंगी। उन्हें दिल का दौरा पड़ने के कारण एम्स में भर्ती कराया गया था जहां लगातार उनका उपचार चल रहा था कि अचानक आज उनका निधन हो गया।

राजू श्रीवास्तव के निधन पर कई प्रसिद्ध लेखकों ने सोशल मीडिया पर उनकी काबलियत और तीन दशक तक दुनिया के लोगों के दिलों पर राज करने की दास्तां बयां की है। लेखक ललित मोहन रयाल कहते हैं कि राजू श्रीवास्तव ने करीब तीन दशक तक दर्शकों-श्रोताओं के दिलों पर राज किया। वे सिचुएशनल कॉमेडी के मास्टर आदमी थे। ऑब्जरवेशन उनकी बड़ी गहरी थी। उनके गढ़े किरदार संकटा, गजोधर, मिश्रा, पांडे लोगों की जुबान पर रहते थे। अवध के किस्सों से लेकर मुहावरों तक उनकी बड़ी गहरी समझ थी। वे कानपुर में पले-बढ़े। अपने समाज में उनका मन ज्यादा रमता था, जिसे वे प्रेरणा कहते थे। राजू शादी-ब्याह, नाते-रिश्तेदार, चाची-काकी संवाद, खानपान, साज-सिंगार, श्राद्ध पक्ष, कहने का मतलब है, एक कॉमनमैन के दैनिक जीवन के जितने भी अनुभव हो सकते हैं, उन सबको उन्होंने कॉमेडी का विषय बनाया। इस विविधता वाले देश में स्टैंड अप कॉमेडी के लिए उन्होंने नए आयाम खोले। रेलवे स्टेशन पर रिश्तेदार को छोड़ने गए परिजनों का वे बड़ा स्वाभाविक चित्रण करते थे। बड़े-बुजुर्गों की तुनकमिजाजी, टीनएजर्स के अनुभवों से लेकर नादान बच्चों तक की त्वरित प्रतिक्रिया को उन्होंने सफलतापूर्वक निभाया। चाहे अमिताभ बच्चन के डायलॉग्स से लेकर राजनेताओं की मिमिक्री उनका पसंदीदा विषय था। छोटे पर्दे से छोटी-छोटी भूमिकाओं से शुरू होकर उन्होंने ‘तेजाब’, ‘मैंने प्यार किया’, ‘आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया’ जैसी फिल्मों में छोटे-छोटे रोल किए। ‘बॉम्बे टू गोवा’ और ‘भावना को समझो’ में उन्हें बड़ी भूमिकाएं मिलीं। स्टैंड अप कॉमेडी के कई मुकाबलों के जरिए उन्होंने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। आज राजू श्रीवास्तव के निधन पर बड़ी संख्या में लोगों ने गहरा दुख जताया है।

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