उत्तराखंड

वैदिक मंत्रोचार के साथ तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट खुले

परम्परा

रुद्रप्रयाग। पंचकेदारों में तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार एवं पौराणिक विधि विधान के साथ आम तीर्थयात्रियों के दर्शनार्थ खोल दिए गए है। अब ग्रीष्मकाल के छह माह तुंगनाथ धाम में ही भगवान के दर्शन होंगे। भगवान के मंदिर में नित्य पूजांए व आरती के बाद भक्तों को दर्शन करने का सौभाग्य मिला। बुधवार को सुबह 7 बजे पुजारी एवं वेदपाठियों ने पर्यटक स्थल चोपता में भगवान तुंगनाथ की विशेष पूजा अर्चना कर आरती उतारी। जिसके बाद चोपता में भक्तों ने भगवान तुंगनाथ की डोली के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। भक्तों के पौराणिक जागर एवं जयकारों के साथ ही स्थानीय वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों के साथ ठीक नौ भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम के लिए रवाना हुई।

पूजा अर्चना और विधि विधान के साथ खुले मंदिर के कपाट

भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली सुरम्य मखमली बुग्यालों गुजरते हुए ठीक पौने 11 बजे अपने धाम पहुंची। भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली मन्दिर की तीन परिक्रमा की। इस दौरान तुंगनाथ धाम में भक्तों के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। जिसके बाद बद्री-केदार मंदिर समिति, प्रशासन एवं हक हकूकधारियों की मौजदूगी में ठीक 11.50 बजे कर्क लगन में भगवान तुंगनाथ के कपाट विधि विधान एवं मंत्रोच्चारण के साथ ग्रीष्मकाल के छह माह के लिए खोल दिए गए। कपाट खुलने के बाद मठापति रामप्रसाद मैठाणी के नेतृत्व वेदपाठियों ने भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग का अभिषेक, जलाभिषेक, रूद्राभिषेक कर आरती कर विशेष पूजा अर्चना की। जिसके बाद भक्तों को स्वयंभू लिंग के दर्शन करने की अनुमति दी गई। पहले दिन लगभग पांच सौ से अधिक श्रद्वालुओं ने भगवान तुंगनाथ के दर पर मत्था टेककर पुण्य अर्जित किया। अब छह महीने भगवान की इसी स्थान पर पूजा अर्चना एवं नित्य पूजाएं व आरती संपंन होंगी।
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