उत्तराखंड

पुंडेश्वर मंदिर पुनाड़ में 22 जनवरी से होगा शिव महापुराण

शिव महापुराण एवं महायज्ञ

कथा शुभारंभ के दिन संगम से महादेव मंदिर पुनाड़ तक निकलेगी जल कलश यात्रा
रुद्रप्रयाग। बीते वर्षो की तरह इस वर्ष भी मुख्यालय स्थित पुंडेश्वर महादेव मंदिर पुनाड़ में 22 जनवरी से शिव महापुराण महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। रविवार को आयोजित बैठक में सर्वसम्मति से महापुराण को लेकर विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई।

धार्मिक अनुष्ठान को लेकर रविवार को हुई शिव समिति की महत्वपूर्ण बैठक

महादेव मंदिर पुनाड़ में पांडव नृत्य एवं शिव समिति के अध्यक्ष प्रकाश भारती की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में समिति से जुड़े सदस्यों ने अनेक सुझाव रखे। सामुहिक विचार विमर्श एवं सुझाव के बाद महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि इस वर्ष 22 जनवरी से महादेव मंदिर पुनाड़ में शिव महापुराण महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। जिसमें प्रति परिवार 500 रुपये सहयोग राशि प्रदान करेगा। बैठक में कथा व्यास की व्यवस्था के लिए समिति के अध्यक्ष प्रकाश भारती, पंडित कमलेश्वर प्रसाद सेमवाल, रामचंद्र नौटियाल, शैलेंद्र भारती को जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके साथ ही कथा पांडाल, अलाव के लिए लकड़ी, खान-पान, जलपान, दूध, चाय आदि की व्यवस्थाओं के लिए भी समिति के सदस्यों को दायित्व दिए गए। सर्वसम्मति से भारत सिंह बिष्ट एवं रघुवीर सिंह पंवार को भोजन बनाने की जिम्मेदारी दी गई।

सामुहिक विचार विमर्श के बाद कई प्रस्ताव हुए पारित

यह भी निर्णय लिया गया कि कथा शुभांरभ के दिन 22 जनवरी को सुबह 10 बजे संगम (पांडव घाट) से कथा स्थल पुंडेश्वर महादेव मंदिर पुनाड़ तक कलश यात्रा निकाली जाएगी। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 22 जनवरी को समस्त ग्राम वासियों को सुबह 8 बजे कथा स्थल महादेव मंदिर पुनाड़ में अनिवार्य रूप पहुंचना होगा। आयोजन का समापन 1 फरवरी को किया जाएगा। इस मौके पर समिति के अध्यक्ष प्रकाश भारती, सचिव सुनील नौटियाल, कोषाध्यक्ष विक्रम सिंह कप्रवाण, दिनेश चन्द्र सेमवाल, कमलेश्वर प्रसाद सेमवाल, चन्द्रप्रकाश सेमवाल, अनिल सेमवाल, रामचन्द्र नौटियाल, शैलेंद्र भारती, राजेंद्र प्रसाद, विजय कप्रवाण, हर्षवर्धन नौटियाल, हरीश गिरी, अजय सेमवाल, सभासद लक्ष्मण सिंह कप्रवाण, श्याम सिंह, संजय देवली, राकेश नौटियाल, आशीष नौटियाल, विपुल नौटियाल, गोविंद गिरी, बृजमोहन नौटियाल सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।

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