रुद्रप्रयाग। बुद्धम वर्ल्ड मार्शल आर्ट फेडरेशन द्वारा लखीमपुर खीरी में आयोजित मार्शल आर्ट्स की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में रुद्रप्रयाग के पांच छात्र-छात्राओं ने बेहतर प्रदर्शन कर गोल्ड सहित कई मेडल जीतने में कामयाबी पाई। इस प्रतियोगिता में देश के 6 राज्यों के प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।
कोच अवनीश भारती ज्यूरी और बेस्ट रेफरी की ट्राफी से हुए सम्मानित
प्रतियोगिता संपंन होने के बाद रुद्रप्रयाग लौटे विजेता छात्र-छात्राओं को स्थानीय लोगों द्वारा स्वागत किया गया। साथ ही उनकी सफलता पर उन्हें बधाई दी गई। बता दें कि लखीमपुर खीरी में बुद्धम वर्ल्डमार्शल आर्ट फेडरेशन द्वारा आयोजित दो दिवसीय आल इंडिया प्रथम मार्शल आर्ट राष्ट्रीय प्रतियोगिता में रुद्रपुर के एक, विकासनगर के एक खिलाड़ी और रुद्रप्रयाग के पांच प्रतिभावान खिलाड़ियों ने उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। सभी खिलाड़ियों ने इस राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में 8 मेडल अपने नाम किए।
राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 6 राज्यों के प्रतिभागियों ने किया प्रतिभाग
अवनीश भारती ने मास्टर ओवर वर्ग के प्रदर्शन में स्वर्ण पदक, जूनियर बालिका वर्ग में प्रथा देवली ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया। सीनियर बालक वर्ग में विकासनगर के खिलाड़ी पंकज को स्वर्ण एवं रुद्रपुर के मृण्मय मंडल को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। कैडेट वर्ग में दीप्ति ने फाइट में स्वर्ण पदक, कैडेट वर्ग फाइट में वंशिका कप्रवान ने कांस्य पदक एवं जूनियर बालक वर्ग में आदित्य राज ने स्वर्ण पदक, अनमोल सिंह ने रजत पदक प्राप्त कर राज्य का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। इसके अलावा कोच अवनीश भारती को ज्यूरी और बेस्ट रेफरी की ट्राफी से सम्मानित किया गया। रुद्रप्रयाग की खिलाड़ी प्रथा देवली को बालिका वर्ग में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए अवार्ड दिया गया। इस प्रतियोगिता में उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, हरियाणा,असम, उत्तर प्रदेश सहित 8 राज्यों ने अपनी अपनी टीम भेजी। सभी खिलाड़ियों ने अपनी सफलता का श्रेय कोच और अपने माता पिता को दिया है। इस मौके पर बुद्धम वर्ड मार्शल आर्ट फेडरेशन के संस्थापक ग्रैंड मास्टर शैलेश कुमार तिवारी ने देश भर से आए हुए खिलाड़ियों को सम्मानित किया। बुद्ध ने ही विश्व में सर्वप्रथम आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट शुरू किया था। यह प्राचीन भारत की ही कला है जिसको दुनिया ने अपनाया और अलग अलग नाम दे दिया। इसी प्राचीन कला को ग्रैंड मास्टर शैलेश तिवारी ने पुनर्जीवित किया है। जबकि इस कला को बुद्धम नाम दिया है।