उत्तराखंड

सावन में यहां चढ़ाया जाता है ग्वाल देवता को दूध, दही, घी और मक्खन

ग्वाल देवता पूजा की परम्परा

बच्चों के साथ गांव के लोगों ने की ग्वाल देवता की पूजा अर्चना

रुद्रप्रयाग। हर वर्ष कि तरह इस वर्ष भी सावन के मौके पर रविवार को पर्यटन गांव/ देवरियाताल के बेस कैम्प सारी में ग्वाल देवता (ग्वाल बालों के देवता) की पूजा की गई। इस मौके पर बच्चों में जोरदार उत्साह देखा गया।

हर साल सावन के महीने में होती है ऊखीमठ के सारी गांव में ग्वाल देवता की पूजा

बताते चलें कि परंपरा व रीति रिवाज के अनुसार गांव में ग्वाल देवता की पूजा दूध, दही, घी व मक्खन से की जाती है। ग्वालों के रूप में बच्चे, युवक, युवतियां अपने-अपने घर से दूध, दही, घी, मख्खन मंदिर में ले जाकर ग्वाल देवता का लेप करते हुए सभी के घर में खूब दूध दही, घी का भंडार बने रहने के लिए प्रार्थना करते हैं।

ऊखीमठ ब्लॉक के सारी गांव में गांव के बच्चे, युवक, युवतियों ने गांव के ग्वाड व नौडारू तोक में भी ग्वाल देवता की पूजा संपन्न की। अपने- अपने घर से रोट, दही, घी, मख्खन लेकर गांव से कुछ दूर स्थित देवता के मंदिर गए जहां सभी ने दूध, दही, घी, मक्खन देवता को चढाते हुए घर गांव की सुख शांति की प्रार्थना की। साथ ही सबके घर में दूध, दही घी का भण्डार भरा रहे इसके लिए भी प्रार्थना की।

अपने अपने घरों से ले गए बच्चे दूध, दही, घी और मक्खन

मंदिर परिसर में सभी ग्रामीणों द्वारा अपने अपने घर से दूध, दही, घी, मख्खन, रोट आदि खाद्य सामग्री प्रसाद के रूप में लाई गई जिसे आपस में प्रसाद के रूप में बांटा गया। जिस परिवार में दूध, दही, घी उपलब्ध नहीं था, पूजा से पहले बच्चों ने वहां जाकर दूध, दही मख्खन दिया और वह परिवार भी दूध, दही, मख्खन लेकर पूजा में शामिल हुआ।

 

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