उत्तराखंड

प्रशासन से वार्ता के बाद तीर्थपुरोहितों का आमरण अनशन खत्म

आंदोलन थमा

रुद्रप्रयाग। भू स्वामित्व सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर केदारनाथ धाम में चल रहा तीर्थपुरोहितों का आमरण अनशन प्रशासन से वार्ता के बाद स्थगित हो गया। बुधवार को प्रशासन की टीम ने एक घंटे तक वार्ता के बाद लखित भरोसा दिया कि, 15 अक्तूबर तक तीर्थपुरोहितों को भवन एवं भू-स्वामित्व दे दिया जाएगा। इसी आश्वासन के बाद तीर्थपुरोहितों ने आंदोलन खत्म किया। जबकि तीर्थपुरोहितों ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि 15 अक्तूबर तक कार्य नहीं किया गया तो फिर, 16 अक्तूबर से उसी स्थान पर आमरण अनशन शुरू कर दिया जाएगा।

15 अक्तूबर तक भूमि, भवन आवंटित करने के साथ भू-स्वामित्व अधिकार देने को लेकर दिया लिखित आश्वासन

पिछले पांच दिनों से केदारनाथ धाम में तीर्थपुरोहितों को भू-स्वामित्व सहित अन्य मांगों को लेकर आंदोलन चलाया जा रहा था। जिसको लेकर तीन दिनों से आमरण अनशन चल रहा था। हालांकि बीती रात कमल तिवारी की तबियत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया और फिर वह बुधवार सुबह आंदोलन स्थल पर पहुंच गए। वहीं उनकी जगह संजय तिवारी और संदीप शर्मा अनशन पर बैठे थे। इधर, प्रशासन लगातार तीर्थपुरोहितों से वार्ता की पेशकश करता रहा। बुधवार को अपर मुख्य कार्याधिकारी केदारनाथ विकास प्राधिकरण योगेंद्र सिंह एवं तहसीलदार ऊखीमठ दीवान सिंह राणा तीर्थपुरोहितों से वार्ता करने धरना स्थल पहुंचे। करीब एक घंटे की वार्ता के दौरान प्रशासन की ओर से तीर्थपुरोहितों को लिखित आश्वासन दिया गया कि 15 अक्टूबर 2023 तक भूमि, भवन आवंटन के साथ ही भूस्वामित्व का अधिकार दिया जाएगा। प्रशासन के इस आश्वासन के बाद आमरण अनशनकारियों को जूस पिलाकर उनका अनशन खत्म करवाया गया।

केदारनाथ में वार्ता के लिए पहुंचे प्रशासन की टीम ने एक घंटे तक की वार्ता

केदार सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने कहा कि यदि 15 अक्तूबर तक लिखित आश्वासन के अनुसार कार्रवाई नहीं की गई तो 16 अक्तूबर से फिर उसी स्थान पर तीर्थपुरोहित आमरण अनशन शुरू करेंगे। इस मौके पर केदारसभा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी, आचार्य संतोष त्रिवेदी, संदीप शर्मा, संजय तिवारी, कमल तिवारी, कोषाध्यक्ष प्रवीण तिवारी, प्रदीप शुक्ला और पंकज शुक्ला, संतोष त्रिवेदी, विजेन्द्र शर्मा, उमेश चन्द्र पोस्ती, देवेश बाजपेई, अनिल बगवाडी, चिमनलाल शुक्ला, प्रदीप शुक्ला, अरविंद शुक्ला, अनुराग शुक्ला, आशीष शुक्ला सहित कई तीर्थपुरोहित एवं व्यापारी मौजूद थे।

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