उत्तराखंड

चुनाव में क्या होती है सिरोते की रात, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

चुनावी मेहनत की रात

प्रलोभन देकर वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए होते हैं जतन  
आपने यूं तो कई बार धार्मिक अनुष्ठान, पांडव लीला और अन्य कई तरह की जात यात्राओं में सिरोते की रात के बारे में सुना होगा किंतु चुनाव में सिरोते की रात के बारे में शायद ही कम लोग जानते हो। आइए खबर में कुछ ऐसे ही रोचक किस्सों के साथ शुरूआत करते हैं चुनावी सिरोते की रात के बारे में।
चुनाव लोकसभा, विधानसभा का हो या फिर पंचायत स्तर के सबसे छोटी ईकाई ग्राम प्रधान का, हर दौर में चुनाव का अंतिम दिन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा यह जाता है कि इस दिन प्रत्याशी बड़ी संख्या में वोटरों को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए पूरा जतन करते हैं। यानि साम, दाम, दंड, भेद की सभी विधाओं को अपनाते हुए किसी भी दशा में जीत के लिए वोटरों को लुभाया जाता है। यहां तक कि प्रत्याशी और समर्थक पूरी रात सोते नहीं है। समर्थकों द्वारा कभी सूचना मिलती है कि इस जगह विशेष में स्थिति कमजोर लग रही है तो कभी दूसरी ओर से नाराज लोगों को मनाने के जतन किए जाते हैं। एक बडे वोट बैंक को अपने वोट बैंक में तब्दील करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाती है। बताया यह भी जाता है कि इस दिन धनबल, शराब और अन्य कई बड़े प्रलोभन भी वोटरों को दिए जाते हैं। चुनाव से ठीक पहली रात को प्रत्याशी इस अभियान को पूरा करने में लगे रहते हैं। इस दिन बड़ा उलटफेर होने के कयास भी लगाए जाते है। प्रत्याशियों की पूरी मेहनत पर इसी दिन पानी फेरने का खतरा मंडराया रहता है। हालांकि निर्वाचन आयोग के निर्देशों पर खुला प्रचार पूरी तरह बंद हो गया है किंतु गोपनीय तरीके से डोर-टू-डोर कैंपेनिंग के पैर्टन पर रातभर प्रत्याशी पसीना बहाते हैं।
डीएम बोले, शिकायत मिली तो होगी कड़ी कार्रवाई
जिलाधिकारी एवं जिला निर्वाचन अधिकारी मनुज गोयल ने बताया कि यदि इस तरह की कोई शिकायत मिली तो संबंधित के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। मदाताओं को प्रलोभन देने की सूचना और शिकायत पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन की  टीमें लगातार निगरानी कर रही है।

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