उत्तराखंड

भक्तों को सुनाया भगवान शिव-पार्वती के विवाह का प्रसंग

शिव महापुराण

कथा के छठवें दिन भक्तों को सुनाई भगवती सती और शिव-पार्वती विवाह की कथा

रुद्रप्रयाग। पुनाड़ स्थित भगवान पुंडेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित शिव महापुराण के छटवें दिन कथा व्यास आचार्य दीपक नौटियाल ने भक्तों के सम्मुख भगवती सती और शिव-पार्वती के विवाह की कथा सुनाई। इस दौरान भक्तों ने बड़ी संख्या में आकर कथा श्रवण की। हर दिन कथा में भक्तों का उत्साह देखने को दिखाई दे रहा है।

शिव-विवाह की कथा सुनकर मंत्रमुग्ध हुए भक्त

मुख्यालय स्थित पुंडेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित कथा में कथा व्यास ने कहा कि भगवती सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में जाकर देखा कि उनके पति भगवान शंकर का कोई भाग नही है। तो वे योग की अग्नि से अपने शरीर को भष्म कर पुनः हिमालय मैना के घर जन्म लेती है। वह बाल्यकाल से ही शिव की साधना करती है। तारका सुर के भय से देवता भगवान शिव से विवाह करने के लिए प्रार्थना करते है। तारका सुर का वध भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय के द्वारा होना था। इसके बाद भगवान शिव और पार्वती का विवाह संपंन कराने की कथा सुनाई। भक्तों से भरे पांडाल में कथा श्रवण कराते हुए कथा व्यास ने कहा कि शिव की कथा कई जन्मों के पापों से मुक्ति दिलाती है। जहां भी आशुतोष शंकर की कथा हो, हमें नियमित भगवान शिव की कथा का श्रवण करना चाहिए।

शिव महापुराण के श्रवण से मिलती है जन्मों के पापों से मुक्ति

इस मौके पर भजन कीर्तन से सम्पूर्ण माहौल भक्तिमय बना है। कथा के दौरान पंडित दिनेश चन्द्र सेमवाल, कमलेश्वर प्रसाद सेमवाल, अनिल सेमवाल, चन्द्रप्रकाश सेमवाल, विनोद सेमवाल नियमित पूजा अर्चना और पाठ कर रहे हैं। इस मौके पर रामचन्द्र नौटियाल, सभासद लक्ष्मण कप्रवान, पांडव नृत्य एवं शिव समिति के अध्यक्ष प्रकाश भारती, चक्रधर सेमवाल, शैलेंद्र भारती, विक्रम कप्रवान, हरीश गिरी, तोताराम आदि मौजूद थे।

 

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