उत्तराखंड

देवभूमि से प्रेम करें, यहां तो स्वयं आए थे भवगान श्रीकृष्ण

धार्मिक:

कथा के नवें दिन सुनाया भक्तों को तुलसी, उषा अनिरुद्ध और बाणासुर का प्रसंग
रुद्रप्रयाग। मुख्यालय स्थित रुद्रनाथ मंदिर में शिव महापुराण एवं श्रीराम कथा को लेकर प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्त कथा का श्रवण कर रहे हैं। महंत धर्मानंद श्रीराम कथा और आचार्य दीपक नौटियाल शिव महापुराण कथा का भक्तों को रसपान करा रहे हैं।

बड़ी संख्या में भक्त कर रहे भगवान शिव और श्रीराम की कथा का श्रवण

अलकनंदा और मंदाकिनी तट पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर प्रांगण में भव्य कथा का आयोजन किया जा रहा है। महंत धर्मानंद के प्रयासों से चल रही कथा में नवें दिन दिन दैनिक पूजा अर्चना के बाद कथा शुरू हुई। महंत धर्मानंद ने कहा कि श्रीराम कथा जीवन के वास्तविक मूल्यों के प्रति सजग करती है। जो भी भक्त इसका श्रवण करता है उसे भगवान के प्रति प्रेम का मार्ग दिखाई पड़ता है। इसलिए भगवान की कथा जहां भी हो श्रवण करने का निरंतर प्रयास किया जाना चाहिए।

भक्त, भगवान की कथा श्रवण का हर संभव करें प्रयास

शिव महापुराण का वाचन करते हुए आचार्य दीपक नौटियाल ने कहा कि शिव महापुराण कथाओं की वह पूंजी है जिसे जितना श्रवण किया जाए कम ही है। उन्होंने तुलसी विवाह के साथ ही बाणासुर की कथा का प्रसंग सुनाया। कहा कि रुद्रप्रयाग के बामसू गांव का जिक्र भी किया जहां से भगवान का संबंध रहा है। आचार्य ने कहा कि ऊषा अनरिुद्ध का विवाह भी इसी देवभूमि में हुआ है। जबकि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं उत्तराखंड आए। इसलिए हमें यहां से पलायन नहीं करना चाहिए। यह दिव्य भूमि है। यहां ऋषि-मुनि और देवताओं का वास सैदव है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव की दिव्य कथा के श्रवण से मनुष्य सदमार्ग की ओर बढ़ता है साथ ही मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है।

अलकनंदा और मंदाकिनी संगम पर रुद्रनाथ मंदिर में हो रही कथा

उन्होंने कहा कि भगवान शिव और नारद की तपस्थली अलकनंदा और मंदाकिनी संगम पर कथा का अत्यंत महत्व है इसलिए इस दिव्य कथा का श्रवण जरूर करें। इधर, कथा के दौरान सुंदर भजनों से माहौल भक्तिमय हो रहा है। भक्त उत्साह के साथ कथा का आनंद ले रहे हैं। इस मौके पर आचार्य मनोज नौटियाल, शुभम उनियाल, हिमांशु सेमवाल, विपुल नौटियाल, कान्हा नैथानी, गौरव रावत सहित कथा के सहयोगी एवं बड़ी संख्या में भक्त मौजूद थे।

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