उत्तराखंड

हर किसी के दिलों में बसे संजय डियून्डी को भुलाना नहीं आसान

दुखद

जिंदादिल इंसान के चले जाने के गम से हर कोई दुखी

मृदुभाषी होने के साथ ही हर किसी से थी उनकी आत्मीय पहचान

अपने शांत और सुशील व्यवहार से हर किसी के दिल में रचे बसे सेवानिवृत सूबेदार संजय डियून्डी के आकस्मिक निधन से रुद्रप्रयाग नगर सहित पूरे जनपद में शोक की लहर है। हर किसी की जुबान पर उन्हीं का नाम है और उनका इतनी कम उम्र में चले जाने के गम से दुखी है।

रुद्रप्रयाग के पुनाड़ गांव निवासी सूबेदार संजय डियून्डी गांव की शान थे। गांव ही नहीं बाजार में भी छोटे, बड़े, बुर्जुग और महिलाओं के बीच उनकी आत्मीय पहचान रही है। सबके दिलों पर राज करने वाले इंसान का यूं ही अनायास चले जाना किसी को यकीन नहीं हो रहा है। सन 1971 में जन्मे संजय डियून्डी 19 साल की उम्र में सेना में भर्ती हुए। 30 जून 1990 को संजय ने गाईस रेजिमेंटल सेंटर नागपुर (कमटी) महाराष्ट्र में 1 साल की ट्रेनिंग की। जबकि इसके एक साल बाद हमेशा के लिए 14 गाईस रेजीमेंट में पोस्टिंग हुए। साथ ही रेजिमेंट में जाकर बॉक्सिंग खेल को चुना। अपना कैरियर कंपनी लेवल से शुरू करते हुए फिर बटालियन लेवल पर चयन होकर ब्रिगेड में खेलने लगे। यहां अथक प्रयास के साथ मिले उत्कृष्ट परिणाम की वजह से डिवीजन में अपना जलवा दिखाया। अपनी फाइट जीतकर कमांड लेवल तक खेलते रहे। इसके बाद उम्र 30 साल होने की वजह से अपनी बटालियन बॉक्सिंग टीम के कोच बने। साथ-साथ अपने 3 साल जम्मू कश्मीर में 21 राष्ट्रीय राइफल में तैनात रहकर काउंटर इन इनसर्जेसी इलाकें में सराहनीय कार्य किए। करीब 3 साल सियाचिन ग्लेशियर में पहला ग्लेशियर जहां 40 डिग्री तापमान में सबसे ऊंची चोटी पर रहकर देश की सेवा की। यहां एक दिन एक साल के बराबर लगता है। इसके बाद आपकी यूनिट को साइटेशन से नवाजा गया और यूनिट शांति सेना के रूप में विदेश गई। संजय करीब एक साल इथोपिया में शांति सेना के रूप में काम करते रहे। विदेशी जमीन पर भी उन्होंने कठिनाईयों के बीच काम करते हुए जोखिम उठाए। सेना में रहते हुए आपने चाहे राजस्थान की तपती गर्मी हो या फिर सियाचिन की हाडकंपाने वाली बफीर्ली ठंड में सेवा दी हो, किंतु कोई परेशानी न समझते हुए सिद्दत के साथ देश की सेवा की। सन 2011 में राष्ट्रपति रैंक (जेसीओ) जूनियर कमीशन ऑफिसर रैंक से सम्मानित किया गया है। एक जूनियर लीडर के नाते उनके द्वारा अपने नेतृत्व में अत्यंत सराहनीय कार्य किया गया। जिसके लिए यूनिट द्वारा सम्मान दिया गया। इसके बाद उनकी यूनिट में अच्छे कार्यों के लिए यूनिट को 14 गार्ड से 14 मेकेनाईज इन्फेंट्री बनाया गया जो, बहुत ही बड़ी उपलब्धि है। सूबेदार संजय डियून्डी की 28 साल की आखिरी पोस्टिंग कानपुर उत्तर प्रदेश के हुई। जहां से 30 जून 2018 को वह सेवानिवृत हो गए। सेवानिवृत होने के बाद भी उनका जब्जा कम नहीं हुआ। करीब एक साल तक वे रुद्रप्रयाग में 10 जैकलाई इन्फेंट्री यूनिट में बॉक्सिंग कोच रहे। उनके कोच रहते हुए 10 जैकलाई को बॉक्सिंग टीम ब्रिगेड में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। इसके बाद उन्होंने ऑल वेदर रोड में सुपरवाइजर की ड्यूटी निभाई। रुद्रप्रयाग अपने घर में ही वह अचानक बीमार हो गए। रुद्रप्रयाग आर्मी ईसीएचएस अस्पताल द्वारा देहरादून में मैक्स अस्पताल रैफर करने तक उनका स्वास्थ्य काफी बिगड़ गया और 14 मार्च को उन्होंने अंतिम सांस ली। इस दुखद समाचार को सुनते ही गांव, शहर और जिले के अधिकांश इलाकों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। हर किसी को संजय जैसे जिंदादिल इंसान को खोने का गम है। उनके आकस्मिक निधन पर विधायक भरत सिंह चौधरी, विधायक शैलारानी रावत, जिपंअ अमरदेई शाह सहित अनेक लोगों ने गहरा दुख व्यक्त किया है।

 

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