
70-80 अज्ञात लोगों पर भी किया गया मुकदमा
रुद्रप्रयाग। जवाड़ी बाईपास पर ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे हाइवे जाम करने वाले 14 नामजद लोगों पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। इनमें भाजपा-कांग्रेस के साथ ही अन्य लोग शामिल है। जबकि 70 से 80 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
आईपीसी की धारा 147/149/283/341 व धारा 7 क्रिमिनल एमेन्टमेंट एक्ट में हुआ मुकदमा
बीते नौ मार्च को रेलवे कंपनी में कार्यरत नगर क्षेत्र गुलाबराय निवासी रेलवे में कार्य करने वाले एक युवक की ट्रक की चपेट में आने से दर्दनाक मौत हो गई थी। जिससे स्थानीय लोगों ने आक्रोशित होकर पुलिस चौकी जवाड़ी बाईपास के सामने ऋषिकेश बद्रीनाथ मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग पर आकर सड़क में वाहनों को रोककर चक्का जाम किया गया। इससे आम जनमानस को भारी दिक्कत हुई। पुलिस रिपार्ट में कहा गया है कि मौके पर प्रभारी निरीक्षक तथा क्षेत्राधिकारी रुद्रप्रयाग एवं नायब तहसीलदार रुद्रप्रयाग द्वारा चक्का जाम व सड़क बाधित करने वाले विधि विरुद्ध भीड़ को काफी समझाया गया, किंतु वह नहीं माने। पुलिस, जिला प्रशासन एवं रेलवे की मेघा कम्पनी के विरुद्ध मुर्दाबाद के नारेबाजी की। पुलिस ने एनाउंसमेंट कर उक्त विधि विरुद्ध भीड़ को विधि विरुद्ध जमाव घोषित कर राष्ट्रीय राजमार्ग से हटने के लिए बताया गया, ताकि आम जनता को दिक्कत न हो किंतु वह नहीं माने और दो घंटे जाम लगाया। ये लोग किसी की भी न सुनते हुए अपनी जिद पर अड़े रहे। जिससे आम जनमानस व तीर्थ यात्रियों के साथ ही आवश्यक सेवाओं के वाहन एम्बुलेंस, स्कूली बस आदि को जाम में फंसना पड़ा ।
लोग बोले, कंपनी के अधिकारियों के बजाय जनता पर कार्रवाई उचित नहीं
पुलिस ने जिन 14 नामजदों पर मुकदमा किया उनमें कांग्रेस के महासचिव संतोष रावत, नगर पालिका सभाषद लक्ष्मण कप्रवाण, गौरब नैथानी, सामाजिक कार्यकर्ता, उक्रांद के जिलाध्यक्ष बुद्धि बल्लभ मंमगाई, तरुण पंवार, आप पार्टी के संयोजक जोत सिंह बिष्ट, भाजयुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष विकास डिमरी, पूर्व जिला महामंत्री कांग्रेस शैलेन्द्र गोस्वामी, सौरभ गोस्वामी, राजेन्द्र नौटियाल, दिगम्बर रमनवाल, पंकज गोस्वामी, संदीप भण्डारी, दीपक भण्डारी शामिल है। जबकि 70 से 80 अन्य लोगों पर भी मुकदमा दर्ज किया है। इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 147/149/283/341 भादवि व धारा 7 क्रिमिनल एमेन्टमेंट एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया है। इधर, कांग्रेस महासचिव संतोष रावत ने पुलिस की कार्रवाई का विरोध किया। उन्होंने कहा कि कंपनी के खिलाफ मुदकमा किया जाना चाहिए था। जबकि पुलिस ने स्थानीय लोगों को ही दोषी बताया। यदि न्याय मांगना अपराध है, तो फिर आम लोगो की कौन सुनेगा। यदि पुलिस द्वारा ठीक समय पर निर्णय लिया जाता और पीड़ित परिवार को न्याय दिया होता तो हाईवे जाम करने जैसी नौबत नहीं आती। यह तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली बात हो गई।