उत्तराखंड

चौरासी लाख योनियो में मनुष्य योनि सर्वश्रेष्ठ: मैठाणी

धर्मक्षेत्रे-महायज्ञ व महा शिवपुराण कथा

18 वर्षो बाद मक्कूमठ में आयोजित हो रहा महायज्ञ एवं महाशिवपुराण
रुद्रप्रयाग। भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल मर्कटेश्वर तीर्थ मक्कूमठ में श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति व ग्राम पंचायत मक्कूमठ तथा पावजगपुड़ा के संयुक्त सहयोग से 18 वर्षों बाद आयोजित महायज्ञ व महा शिवपुराण कथा में हर दिन सैकड़ो भक्त शामिल होकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। इस धार्मिक आयोजन के चलते विद्धान आचार्यो की वेद ऋचाओं से तुंगनाथ घाटी का माहौल भक्तिमय बना है।

महायज्ञ व महा शिवपुराण कथा में प्रति दिन विभिन्न गांवों की कीर्तन मंडलियों से जुड़ी महिलाओं द्वारा धार्मिक भजनों के माध्यम से भगवान तुंगनाथ सहित सम्पूर्ण देवी-देवताओं की महिमा का गुणगान किया जा रहा है। महा शिवपुराण कथा के सातवें दिन प्रख्यात कथावाचक लम्बोदर प्रसाद मैठाणी ने शिव महापुराण कथा की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि 84 लाख योनियो में मनुष्य योनि को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस योनि में कर्मो के अनुसार फल की प्राप्ति होती है इसलिए, मनुष्य योनि में आने के लिए देवता भी तरसते है। उन्होंने कहा कि जो मनुष्य काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार का त्याग कर क्षण मात्र के लिए परम पिता परमेश्वर का स्मरण करता है वह मनुष्य सासंरिक सुखों को भोग कर अन्त में मोक्ष को प्राप्त होते है। कथावाचक लम्बोदर प्रसाद मैठाणी ने देवभूमि उत्तराखंड की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि जो मनुष्य देवभूमि उत्तराखंड के तीर्थों में जाने की इच्छा करता है उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते है।

मक्कूमठ में चल रहे महायज्ञ में सैकड़ो भक्त हो रहे हर दिन शामिल
उन्होंने भगवान तुंगनाथ के पावन धाम तुंगनाथ की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि यह धाम तृतीय केदार के नाम से माना जाता है। तुंगनाथ धाम में भगवान शंकर के भुजाओं की पूजा की जाती है। उन्होंने कहा कि तुंगनाथ धाम उत्तराखंड के सभी तीर्थों में सबसे ऊंचाई पर विराजमान है। इस मौके पर दिवारा समिति अध्यक्ष भूपेन्द्र मैठाणी, मठापति राम प्रसाद मैठाणी, महायज्ञ प्रभारी प्रकाश पुरोहित, प्रबन्धक बलवीर सिंह नेगी, प्रधान विजयपाल नेगी, पावजगपुडा अरविन्द रावत, क्षेत्र पंचायत जयवीर सिंह नेगी, पूर्व प्रधान दशमी देवी मैठाणी, जय सिंह चौहान सहित अनेक गांवों के दस्तूर धारी, हक-हकूकधारी, जनप्रतिनिधि, मन्दिर समिति के अधिकारी कर्मचारी व बड़ी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।
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