उत्तराखंड

सरकार जनहानि को लेकर करे स्थिति स्पष्ट: हरीश रावत

प्रेस वार्ता

रुद्रप्रयाग। पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि केदारनाथ पैदल मार्ग पर आई आपदा में सरकार और प्रशासन को जनहानि को लेकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। कई यात्री एवं स्थानीय व्यापारी चिंता में है। उन्हें अपनों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। लोग अपनों की प्रतिक्षा कर रहे हैं। ऐसे में स्थिति स्पष्ट कर देनी चाहिए। केदारघाटी से लौटते हुए रुद्रप्रयाग में पत्रकारों से वार्ता करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि केदारनाथ पैदल मार्ग में यह बड़ आपदा है। सोनप्रयाग से केदार के निचले हिस्से को काफी नुकसान हुआ है। रास्ते बह गए हैं। गौरीकुंड में संकट गहरा गया है। सोनप्रयाग में रास्ते का बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। पैदल मार्ग और प्रमुख कस्बों में आजीविका चल रहे कई लोगों की जानकारी नहीं मिल पा रही है। उनके परिजन चिंतित है। कहा कि ऐसी सूचना मिल रही है कि कई लापता है। इसलिए सरकार और प्रशासन को स्थिति स्पष्ट कर देनी चाहिए कि जानमाल का क्या नुकसान हुआ है। जो यात्री अपनों की प्रतीक्षा कर रहे हैं उन्हें सही जानकारी मिल सके।

पूर्व मुख्यमंत्री ने की केदारघाटी से लौटने के बाद की रुद्रप्रयाग में प्रेस वार्ता

हरीश रावत ने कहा कि पूर्व में भी केदारघाटी में आपदा आई है। वर्ष 2015-16 में हमने प्रयास किया कि कालीमठ-चौमासी मार्ग को डेवलप किया जाए। मेरी जानकारी में वही सबसे सुरक्षित मार्ग है। हमने हिटो केदार अभियान चलाया था तब हमारा उद्देश्य यही था कि केदारनाथ के लिए वैकल्पिक रास्ते की तलाश की जाए। वर्ष 2013 जैसी आपदा आने में यही मार्ग सुरक्षित वैकल्पिक मार्ग का काम कर सकता है। यहां की स्थिति अभी भी वैसी ही है। गुप्तकाशी तक जाने के लिए तीन-चार मार्ग है। सभी वैकल्पिक मार्गो की स्थिति खराब है। प्रमुख सड़क मार्ग भी खराब स्थिति में है। हरीश ने कहा कि बदरीनाथ उप चुनाव के दौरान उन्होंने यह मामला उठाया था कि प्रदेश सरकार ने इस साल की यात्रा गडबड़ा दी है। हर पड़ाव पर बातचीत की तो यही पता चला कि राज्य सरकार की लापरवाही के कारण इस बार चारधाम यात्रा गड़बड़ाई है। पूरी यात्रा में अभी 40 फीसदी यात्रा ही चल पाई है। यात्रा के नाम पर कभी रजिस्ट्रेशन की बाध्यता फिर इसे खत्म करना आदि से यात्री परेशान हुआ है। बाद में यात्री स्वयं ही ऋषिकेश, हरिद्वार से वापस लौटने लगे। इसका स्थानीय व्यापार पर दुष्प्रभाव पड़ा है। कहा कि सरकार का यह अविवेकपूर्ण निर्णय है कि चौबीसों घंटे यातायात को खुला रखा। यह सुरक्षा की दृष्टि से अनुचित था। हमारी सरकार के दौरान रात 8 बजे बाद वाहनों को रोक दिया जाता था जबकि 10 बजे तक उन्हें प्रमुख कस्बों में आने दिया जाता रहा है। दिल्ली में केदारनाथ धाम बनाने जैसे कृत्य को पूरी तरह गलत बताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि ऐसा कभी नहीं हो सकता है कि हमारे धामों को अन्यत्र स्थापित किया जाए। केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का महत्व हमेशा उसी स्थान पर रहेगा जहां वो विराजमान है। उन्होंने कहा कि रुद्रप्रयाग और चमोली अति संवेदनशील जनपद है। यहां रुद्रप्रयाग से लेकर गौरीकुंड तक लोगों की आजीविका यात्रा पर टिकी है। किंतु यात्रा से पहले ही सरकार और प्रशासन ने सड़कों किनारे रोजगार कर रहे बड़ी संख्या में लोगों को हटा दिया जिससे उनके सामने संकट आ गया। अब दूसरे चरण की यात्रा शुरू होने वाली है। प्रशासन ऐसे लोगों के हितों को ध्यान में रखे।

चौबीसों घंटे यात्रा संचालन करना और रजिस्ट्रेशन की बाध्यता पर यात्रियों को रोकना सरकार के अविवेकपूर्ण फैसले

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार के दौरान केदारनाथ में अभूतपूर्व कार्य हुए। हमने केदारनाथ के विकास के लिए 800 करोड़ का पैकेजे केंद्र सरकार से मांगा था जिसे देना केंद्र की प्रतिबद्धता थी। लेकिन आज तक यह पैकेज भी नही दिया गया। केदारनाथ में पार्ट 2 और पार्ट 3 के लिए केदारनाथ विकास के लिए जो प्लान बनाए थे उसके लिए यह पैसा स्वीकृत था। चौराबाड़ी ताल की सुरक्षा नहीं की गई है। यहां वॉच टॉवर विकसित किए जाने थे, वैज्ञानिक अध्ययन की व्यवस्था करनी थी ताकि ग्लेशियर टूटने की स्थिति में पानी की निकासी के लिए विशेष योजना बना ली जाती। कहा कि रामबाड़ा से केदारनाथ तक भू-कटाव हो रहा है। तत्तकालीन समय में हमने पूरा प्रोजेक्ट बनाया था। तल्ली लिंचौली का प्रोटेक्शन का काम नहीं हो पाया है। पहाड़ियों को नुकसान पहुंच रहा है। सोनप्रयाग, गौरीकुड से रोपवे का काम आज तक नहीं हो पाया है। हमारी सरकार के कार्यकाल में भी इसका प्रोजेक्ट और डीपीआर बनाकर भेजी गई। हरीश रावत ने कहा कि इस यात्रा से रुद्रप्रयाग जनपद के हर व्यक्ति को नुकसान हुआ है। इसलिए सरकार को चाहिए कि यहां के लोगों के बिजली और पानी के रेट कम कर दें। जबकि टैक्स वसूली को 50 फीसदी माफ कर दिया जाए। इस दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ईश्वर सिंह बिष्ट, आनंद सिंह रावत, प्रदेश प्रवक्ता नरेंद्र बिष्ट आदि मौजूद थे।

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