चल विग्रह भोग मूर्ति को मंदिर से सभा मंडप में लाया गया
रुद्रप्रयाग। रविवार को भगवान मध्यमहेश्वर की चल विग्रह भोग मूर्तियों को गर्भगृह से बाहर लाकर सभामण्डप में विराजमान किया गया। मंगलवार को प्रातः सात बजे भगवान की चलविग्रह उत्सव डोली मध्यमहेश्वर धाम के लिए प्रस्थान करेगी। द्वितीय केदार भगवान मध्यमहेश्वर के कपाट गुरुवार 19 मई को कर्क लग्न में खोले जाएंगे। रविवार को परम्परानुसार प्रातः साढ़े पांच बजे ओंकारेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी शिवलिंग द्वारा भगवान का महाभिषेक पूजन कर श्रृंगार किया गया जिसके बाद षोडश पूजन व दान की परंपरा को सम्पन्न किया गया। ततपश्चात केदारनाथ रावल जगद्गुरु भीमाशंकर लिंग जी मौजूदगी में भगवान की भोग मूर्ति को प्रातः आठ बजे गर्भगृह से बाहर लाकर सभामण्डप में विराजमान किया गया। जहाँ पर मध्यमहेश्वर धाम के मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग द्वारा भगवान की आरती कर भोग लगाया गया। जिसके बाद भक्तों ने बाबा मध्यमहेश्वर के दर्शन किया। वहीं मन्दिर में पौराणिक रीति रिवाजों के अनुसार स्थानीय डंगवाड़ी व बजंपाणी के ग्रामीणों द्वारा भगवान को नए अनाज से निर्मित भोग को चढ़ाया गया। जिसका भोग लगाकर प्रसाद के रुप मे भक्तों को बांटा गया। मध्यमहेश्वर भगवान सभामंडप में एक दिन तक विराजमान रहेंगे। जिसके बाद मंगलवार को ओंकारेश्वर मंदिर से डोली प्रस्थान करेगी।
इस अवसर पर केदारलिंग महाराज,युद्धवीर पुष्पवान,आचार्य विश्वमोहन जमलोकी,नवीन मैठाणी,व्यापार मंडल अध्यक्ष राजीव भट्ट,सरपंच पवन राणा,रणजीत सिंह रावत,प्रधान वीर सिंह,अनिल कुँवर,आदि थे।
डोली कार्यक्रम
17 मई को ओंकारेश्वर मन्दिर से प्रस्थान रात्रि विश्राम राकेश्वरी मन्दिर रांसी।
18 मई को राकेश्वरी मन्दिर रांसी से गोंडार।
19 मई गोंडार से मध्यमहेश्वर धाम तथा इसी दिन प्रातः कर्क लग्न में मन्दिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।